विभाग के मुख्य उद्देश्य:-

  •  ग्रामीण क्षेत्रों में दुग्ध उत्पादकों के लियेे डेरी को कृषि के अतिरिक्त व्यवसाय के रूप में विकसित कर अतिरिक्त आय के अवसर (रोजगार सृजन) उपलब्ध कराना।
  •  राज्य के उपभोक्ताओं को उत्तम गुणवत्ता के दूध व दुग्ध पदार्थ की उचित दरों पर उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • राज्य में दुग्ध उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित करने हेतु क्षेत्र में सहकारी दुग्ध समितियों को प्रोत्साहित, सुदृढ़ एवं विनियमित करना
  • दुग्ध सहकारिताओं में उत्तराखण्ड सहकारी समिति अधिनियम, 2003 व सहपठित नियमावली, 2004 के अन्तर्गत प्रदत्त शस्तियों के माध्यम से दुग्ध सहकारिता को सुदृढ़ करना
  • जनपदीय/केन्द्रीय सहकारी समितियों के द्वारा क्रियान्वित योजनाओं का परीक्षण करना, स्वीकृति हेतु शासन को प्रस्तुतीकरण, अनुश्रवण एवं मूल्यांकन करना।
  • दुग्ध उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित रखते हुये आर्थिक विकास की मुख्य धारा से जोड़ने हेतु विभिन्न राजकीय योजनाओं का सृजन, क्रियान्वयन एवं मूल्यांकन     करना तथा राजकीय नीतियों और घोषणाओं को सम्पादित करना। दुग्ध उत्पादकों को समय-समय पर पशुपालन, चारा विकास, दुग्ध उत्पादन, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन आदि की नवीनतम तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराना।

 कार्य प्रणाली:-

  •  प्रदेश में दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों का कार्य ‘‘आनन्द प्रणाली’’ पर आधारित त्रिस्तरीय सहकारी पद्वति पर संचालित किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में दुग्ध सहकारी समिति व जिला स्तर पर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ तथा प्रदेश स्तर पर उत्तराखण्ड सहकारी डेरी फेडरेशन गठित है।
  • डेरी विकास विभाग द्वारा संचालित समस्त योजनाऐं इन्हीं दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के माध्यम से क्रियान्वित की जाती हैं।
  • प्रदेश में जून, 2019 तक कुल 4131  प्राथमिक दुग्ध समितियाँ गठित की गयी हैं, जिसमें से 2,561 दुग्ध समितियाँ वर्तमान में कार्यरत हैं तथा 11 दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों का गठन किया जा चुका है, जिनके माध्यम से डेरी विकास के कार्यक्रमों को क्रियान्वित किये जा रहे हैं।
  • विभिन्न दुग्ध संघों में आपसी समन्वय स्थापित करने तथा उनके पर्यवेक्षण व दिशा-निर्देशन हेतु यू0सी0डी0एफ0लि0, हल्द्वानी (नैनीताल) कार्यरत है।
  • ग्रामीण दुग्ध सहकारी समितियों, दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों व उत्तराखण्ड सहकारी डेरी  फेडरेशन को दुग्ध उपार्जन से लेकर दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थ विपणन तक की आधुनिकतम तकनीकी आधारभूत सुविधायें, तकनीकी निवेश व प्रशिक्षण तथा स्वावलम्बी होने तक आवश्यक प्रारम्भिक वित्तीय सहायता करता है।