साईलेज एवं दुधारू पशु पोषण योजना

योजना का औचित्य

राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में गठित दुग्ध सहकारी समितियों से जुडी महिला सदस्यों को अपने दुधारू पशुओं के पालन हेतु हरे चारे की व्यवस्था के लिए प्रतिदिन वन क्षेत्रों में जाकर अत्याधिक श्रम एवं समय व्यय करना पडता है, जहां एक ओर अपने परिवार को दिये जाने वाले समय का अभाव रहता है वही दूसरी ओर प्राप्त होने वाले चारे की गुणवत्ता न्यून स्तर की रहती है, इससे दुधारू पशुओें से उत्साहित होने वाली दूध की मात्रा अत्यन्त कम है, जिस कारण इस कार्य मेे लगी महिलाओं को उनके श्रम के अनुरूप अर्थ लाभ प्राप्त नही हो पाता है।

         दिनांक 18 दिसम्बर, 2018 को डेरी विकास विभाग अन्र्तगत संचालित गंगा गाय महिला उेरी विकास योजना की समीक्षा के लिए सचिव, वित्त, उत्तराखण्ड शासन की अध्यक्षता मेें शासन स्तर पर आहूत बैठक में तत््सम्बन्ध में विभाग द्वारा प्रस्तुत किये गये प्रस्ताव कि ‘‘ यदि दुग्ध उत्पादको को वैक्यूम पैक्ड कार्न साईलेज उपलब्ध कराया जाए, तो हरे चारे की व्यवस्था में हो रहे अनावश्यक समय एवं श्रम के व्यय को दूर किया जा सकता है, साथ ही उपलब्ध होने वाला चारा उच्च गुणवत्ता का होने से दुग्ध उत्पादन में भी वृृद्धि होना सम्भव है।’’

                                                          

  शासन से प्राप्त निर्देशों के क्रम मं सन्दर्भित पशुपालको को ‘‘वैक्यूम पैक्ड कार्न साईलेज’’ उपलब्ध करा कर निम्न गुणवत्ता का चारा एकत्र करने में व्यय श्रम एवं समय को बचाया जा सकता है। कार्न साईलेज उपलब्ध कराने पर दुधारू पशुपालको को निश्चित रूप से निम्न लाभ प्राप्त होगंे-

 पर्वतीय क्षेत्रों की महिला दुधारू पशुपालको को व्यर्थ ही श्रम एवं समय व्यय नही करना होगा

 पौष्टिक हरा चारा आवश्यकतानुसार नियमित रूप से सुलभ एवं उपलब्ध रहेगा।

 पौष्टिक हरा चारा प्राप्त होने से दुधारू पशुओें का स्वास्थ उत्तम एवं उत्पादन क्षमता अनुरूप होगा

 हरे चारे की उपलब्धता नियमित एवं किसान के द्वार पर होने से छोटे डेरी फार्मो का आकार बढाया जा सकेगा।

        वर्तमान में कार्यरत दुग्ध सहकारी समितियों से जुडें दुग्ध उत्पादक सदस्यों के आधार पर वार्षिेक रूप से लगभग 10 हजार मै0 टन साईलेज की आवश्यकता का आकंलन विभागीय स्तर पर किया गया है।